“पानी की कहानी’’ के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दो में कीजिए।
अरबों वर्ष पूर्व हमारे सौरमंडल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसीय पिंड के रूप में विद्यमान थे। सूर्य से भी बङे एक पिंड ने अपनी गुरूत्वाकर्षण शक्ति से सूर्य से पिंड अलग कर दिए जो सौरमंडल में गृह एवं अन्य खगोलीय पिंडों के रूप में हैं| इसी कड़ी में पृथ्वी का भी निर्माण हुआ| बाद में पृथ्वी ताप मुक्त होकर ठन्डी होने लगी। साथ ही हाइड्रोजन और ऑक्सीजन भी ठंडे होकर जल की बूंदों में परिवर्तित होने लगे। ये जलवाष्प की बूंदें उंचे पर्वतों पर एकत्रित होकर वहां पर वर्फ के रूप में जमा होने लगे। यही वर्फ सूर्य के तापमान में पिघलकर नीचे मैदानों का रुख कर नदी-तालाबों का स्वरूप लेने लगे। फिर यही नदी समुद्र में जा मिली| वहां पर ये फिर से वाष्पीकृत होकर बादलों में परिवर्तित हो गयी| बादलों का रूप लेकर पानी की बूंदें बनकर समतल मैदानों में कभी पृथ्वी को आप्लावित करते कभी पेङों के जङों के अन्दर अवशोषित होने लगे। जङ अपने में समाहित कर इन्हें अपने तनों की ओर भेजने लगे और अंततः ये बूंदें पत्तियों से बाहर छलक कर आयीं|